गउड़ी महला ५ मांझ ॥
दुख भंजनु तेरा नामु जी दुख भंजनु तेरा नामु ॥ आठ पहर आराधीऐ पूरन सतिगुर ग्यानु ॥ १ ॥ रहाउ ॥
जितु घटि वसै पारब्रहमु सोयी सुहावा थाउ ॥ जम कंकरु नेड़ि न आवयी रसना हरि गुन गाउ ॥ १ ॥
सेवा सुरति न जाणिया ना जापै आराधि ॥ ओट तेरी जगजीवना मेरे ठाकुर अगम अगाधि ॥ २ ॥
भए क्रिपाल गुसाईआ नठे सोग संताप ॥ तती वाउ न लगयी सतिगुरि रखे आपि ॥ ३ ॥
गुरु नारायनु दयु गुरु गुरु सचा सिरजणहारु ॥ गुरि तुठै सभ किछु पायआ जन नानक सद बलेहार ॥ ४ ॥ २ ॥ १७० ॥
गउड़ी महला ५ ॥
सूके हरे कीए खिन माहे ॥ अंमृत द्रिसटि संचि जीवाए ॥ १ ॥
काटे कसट पूरे गुरदेव ॥ सेवक कउ दीनी अपुनी सेव ॥ १ ॥ रहाउ ॥
मिटि गई चिंत पुनी मन आसा ॥ करी दया सतिगुरि गुणतासा ॥ २ ॥
दुख नाठे सुख आइ समाए ॥ ढील न परी जा गुरि फुरमाए ॥ ३ ॥
इछ पुनी पूरे गुर मिले ॥ नानक ते जन सुफल फले ॥ ४ ॥ ५८ ॥ १२७ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
ताप गए पायी प्रभि सांति ॥ सीतल भए कीनी प्रभ दाति ॥ १ ॥
प्रभ किरपा ते भए सुहेले ॥ जनम जनम के बिछुरे मेले ॥ १ ॥ रहाउ ॥
सिमरत सिमरत प्रभ का नाउ ॥ सगल रोग का बिनस्या थाउ ॥ २ ॥
सहजि सुभाय बोलै हरि बानी ॥ आठ पहर प्रभ सिमरहु प्रानी ॥ ३ ॥
दूखु दरदु जमु नेड़ि न आवै ॥ कहु नानक जो हरि गुन गावै ॥ ४ ॥ ५੯ ॥ १२८ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
जिसु सिमरत दूखु सभु जाय ॥ नामु रतनु वसै मनि आइ ॥ १ ॥
जपि मन मेरे गोविन्द की बानी ॥ साधू जन रामु रसन वखानी ॥ १ ॥ रहाउ ॥
इकसु बिनु नाही दूजा कोइ ॥ जा की द्रिसटि सदा सुखु होइ ॥ २ ॥
साजनु मीतु सखा करि एकु ॥ हरि हरि अखर मन मह लेखु ॥ ३ ॥
रवि रहआ सरबत सुआमी ॥ गुन गावै नानकु अंतरजामी ॥ ४ ॥ ६२ ॥ १३१ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
कोटि बिघन हिरे खिन माह ॥ हरि हरि कथा साधसंगि सुनाह ॥ १ ॥
पीवत राम रसु अंमृत गुन जासु ॥ जपि हरि चरन मिटी खुधि तासु ॥ १ ॥ रहाउ ॥
सरब कल्यान सुख सहज निधान ॥ जा कै रिदै वसह भगवान ॥ २ ॥
अउखध मंत्र तंत सभि छारु ॥ करणैहारु रिदे मह धारु ॥ ३ ॥
तजि सभि भरम भज्यो पारब्रहमु ॥ कहु नानक अटल इहु धरमु ॥ ४ ॥ ८० ॥ १४੯ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
सांति भई गुर गोबिदि पायी ॥ ताप पाप बिनसे मेरे भायी ॥ १ ॥ रहाउ ॥
राम नामु नित रसन बखान ॥ बिनसे रोग भए कल्यान ॥ १ ॥
पारब्रहम गुन अगम बीचार ॥ साधू संगमि है निसतार ॥ २ ॥
निरमल गुन गावहु नित नीत ॥ गई ब्याधि उबरे जन मीत ॥ ३ ॥
मन बच क्रम प्रभु अपना ध्यायी ॥ नानक दास तेरी सरणायी ॥ ४ ॥ १०२ ॥ १७१ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
नेत्र प्रगासु किया गुरदेव ॥ भरम गए पूरन भई सेव ॥ १ ॥ रहाउ ॥
सीतला ते रख्या बेहारी ॥ पारब्रहम प्रभ किरपा धारी ॥ १ ॥
नानक नामु जपै सो जीवै ॥ साधसंगि हरि अंमृतु पीवै ॥ २ ॥ १०३ ॥ १७२ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
थिरु घरि बैसहु हरि जन प्यारे ॥ सतिगुरि तुमरे काज सवारे ॥ १ ॥ रहाउ ॥
दुसट दूत परमेसरि मारे ॥ जन की पैज रखी करतारे ॥ १ ॥
बादिसाह साह सभ वसि करि दीने ॥ अंमृत नाम महा रस पीने ॥ २ ॥
निरभउ होइ भजहु भगवान ॥ साधसंगति मिलि कीनो दानु ॥ ३ ॥
सरनि परे प्रभ अंतरजामी ॥ नानक ओट पकरी प्रभ सुआमी ॥ ४ ॥ १०८ ॥
गउड़ी महला ५ ॥
राखु पिता प्रभ मेरे ॥ मोह निरगुनु सभ गुन तेरे ॥ १ ॥ रहाउ ॥
पंच बिखादी एकु गरीबा राखहु राखनहारे ॥ खेदु करह अरु बहुतु संतावह आइयो सरनि तुहारे ॥ १ ॥
करि करि हार्यो अनिक बहु भाती छोडह कतहूं नाही ॥ एक बात सुनि ताकी ओटा साधसंगि मिटि जाही ॥ २ ॥
करि किरपा संत मिले मोह तिन ते धीरजु पायआ ॥ संती मंतु दीयो मोह निरभउ गुर का सबदु कमायआ ॥ ३ ॥
जीति लए ओइ महा बिखादी सहज सुहेली बानी ॥ कहु नानक मनि भया परगासा पायआ पदु निरबानी ॥ ४ ॥ ४ ॥ १२५ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
सरब कल्यान कीए गुरदेव ॥ सेवकु अपनी लाययो सेव ॥ बिघनु न लागै जपि अलख अभेव ॥ १ ॥
धरति पुनीत भई गुन गाए ॥ दुरतु गया हरि नामु ध्याए ॥ १ ॥ रहाउ ॥
सभनी थांयी रव्या आपि ॥ आदि जुगादि जा का वड परतापु ॥ गुर परसादि न होइ संतापु ॥ २ ॥
गुर के चरन लगे मनि मीठे ॥ निरबिघन होइ सभ थांयी वूठे ॥ सभि सुख पाए सतिगुर तूठे ॥ ३ ॥
पारब्रहम प्रभ भए रखवाले ॥ जिथै किथै दीसह नाले ॥ नानक दास खसमि प्रतिपाले ॥ ४ ॥ २ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
चरन कमल प्रभ हिरदै ध्याए ॥ रोग गए सगले सुख पाए ॥ १ ॥
गुरि दुखु काट्या दीनो दानु ॥ सफल जनमु जीवन परवानु ॥ १ ॥ रहाउ ॥
अकथ कथा अंमृत प्रभ बानी ॥ कहु नानक जपि जीवे ग्यानी ॥ २ ॥ २ ॥ २० ॥
बिलावलु महला ५ ॥
सांति पायी गुरि सतिगुरि पूरे ॥ सुख उपजे बाजे अनहद तूरे ॥ १ ॥ रहाउ ॥
ताप पाप संताप बिनासे ॥ हरि सिमरत किलविख सभि नासे ॥ १ ॥
अनदु करहु मिलि सुन्दर नारी ॥ गुरि नानकि मेरी पैज सवारी ॥ २ ॥ ३ ॥ २१ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
सगल अनन्दु किया परमेसरि अपना बिरदु समार्या ॥ साध जना होए किरपाला बिगसे सभि परवार्या ॥ १ ॥
कारजु सतिगुरि आपि सवार्या ॥ वडी आरजा हरि गोबिन्द की सूख मंगल कल्यान बीचार्या ॥ १ ॥ रहाउ ॥
वण त्रिन त्रिभवन हर्या होए सगले जिय साधार्या ॥ मन इछे नानक फल पाए पूरन इछ पुजार्या ॥ २ ॥ ५ ॥ २३ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
रोगु गया प्रभि आपि गवायआ ॥ नीद पई सुख सहज घरु आया ॥ १ ॥ रहाउ ॥
रजि रजि भोजनु खावहु मेरे भायी ॥ अंमृत नामु रिद माह ध्यायी ॥ १ ॥
नानक गुर पूरे सरनायी ॥ जिनि अपने नाम की पैज रखायी ॥ २ ॥ ८ ॥ २६ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
ताप संताप सगले गए बिनसे ते रोग ॥ पारब्रहमि तू बखस्या संतन रस भोग ॥ रहाउ ॥
सरब सुखा तेरी मंडली तेरा मनु तनु आरोग ॥ गुन गावहु नित राम के इह अवखद जोग ॥ १ ॥
आइ बसहु घर देस मह इह भले संजोग ॥ नानक प्रभ सुप्रसन्न भए लह गए ब्योग ॥ २ ॥ १० ॥ २८ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
बंधन काटे आपि प्रभि होआ किरपाल ॥ दीन दयाल प्रभ पारब्रहम ता की नदरि नेहाल ॥ १ ॥
गुरि पूरै किरपा करी काट्या दुखु रोगु ॥ मनु तनु सीतलु सुखी भया प्रभ ध्यावन जोगु ॥ १ ॥ रहाउ ॥
अउखधु हरि का नामु है जितु रोगु न व्यापै ॥ साधसंगि मनि तनि हितै फिरि दूखु न जापै ॥ २ ॥
हरि हरि हरि हरि जापीऐ अंतरि लिव लायी ॥ किलविख उतरह सुधु होइ साधू सरणायी ॥ ३ ॥
सुनत जपत हरि नाम जसु ता की दूरि बलायी ॥ महा मंत्रु नानकु कथै हरि के गुन गायी ॥ ४ ॥ २३ ॥ ५३ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
हरि हरि हरि आराधीऐ होईऐ आरोग ॥ रामचन्द की लसटिका जिनि मार्या रोगु ॥ १ ॥ रहाउ ॥
गुरु पूरा हरि जापीऐ नित कीचै भोगु ॥ साधसंगति कै वारनै मिल्या संजोगु ॥ १ ॥
जिसु सिमरत सुखु पाईऐ बिनसै ब्योगु ॥ नानक प्रभ सरणागती करन कारन जोगु ॥ २ ॥ ३४ ॥ ६४ ॥
रागु बिलावलु महला ५ दुपदे घरु ५
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
अवरि उपाव सभि त्याग्या दारू नामु लया ॥ ताप पाप सभि मिटे रोग सीतल मनु भया ॥ १ ॥
गुरु पूरा आराध्या सगला दुखु गया ॥ राखनहारै राख्या अपनी करि मया ॥ १ ॥ रहाउ ॥
बाह पकड़ि प्रभि काढ्या कीना अपनया ॥ सिमरि सिमरि मन तन सुखी नानक निरभया ॥ २ ॥ १ ॥ ६५ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
रोगु मिटायआ आपि प्रभि उपज्या सुखु सांति ॥ वड परतापु अचरज रूपु हरि कीनी दाति ॥ १ ॥
गुरि गोविन्दि क्रिपा करी राख्या मेरा भायी ॥ हम तिस की सरणागती जो सदा सहायी ॥ १ ॥ रहाउ ॥
बिरथी कदे न होवयी जन की अरदासि ॥ नानक जोरु गोविन्द का पूरन गुणतासि ॥ २ ॥ १३ ॥ ७७ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
ताती वाउ न लगयी पारब्रहम सरणायी ॥ चउगिरद हमारै राम कार दुखु लगै न भायी ॥ १ ॥
सतिगुरु पूरा भेट्या जिनि बनत बणायी ॥ राम नामु अउखधु दिया एका लिव लायी ॥ १ ॥ रहाउ ॥
राखि लीए तिनि रखनहारि सभ ब्याधि मिटायी ॥ कहु नानक किरपा भई प्रभ भए सहायी ॥ २ ॥ १५ ॥ ७੯ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
अपने बालक आपि रखिअनु पारब्रहम गुरदेव ॥ सुख सांति सहज आनद भए पूरन भई सेव ॥ १ ॥ रहाउ ॥
भगत जना की बेनती सुनी प्रभि आपि ॥ रोग मिटाय जीवालिअनु जा का वड परतापु ॥ १ ॥
दोख हमारे बखसिअनु अपनी कल धारी ॥ मन बांछत फल दितिअनु नानक बलेहारी ॥ २ ॥ १६ ॥ ८० ॥
बिलावलु महला ५ ॥
तापु लाहआ गुर सिरजनहारि ॥ सतिगुर अपने कउ बलि जायी जिनि पैज रखी सारै संसारि ॥ १ ॥ रहाउ ॥
करु मसतकि धारि बालिकु रखि लीनो ॥ प्रभि अंमृत नामु महा रसु दीनो ॥ १ ॥
दास की लाज रखै मेहरवानु ॥ गुरु नानकु बोलै दरगह परवानु ॥ २ ॥ ६ ॥ ८६ ॥
बिलावलु महला ५ ॥
ताप पाप ते राखे आप ॥ सीतल भए गुर चरनी लागे राम नाम हिरदे मह जाप ॥ १ ॥ रहाउ ॥
करि किरपा हसत प्रभि दीने जगत उधार नव खंड प्रताप ॥ दुख बिनसे सुख अनद प्रवेसा त्रिसन बुझी मन तन सचु ध्राप ॥ १ ॥ अनाथ को नाथु सरनि समरथा सगल स्रिसटि को मायी बापु ॥
भगति वछल भै भंजन सुआमी गुन गावत नानक आलाप ॥ २ ॥ २० ॥ १०६ ॥
सोरठि महला ५ ॥
करि इसनानु सिमरि प्रभु अपना मन तन भए अरोगा ॥ कोटि बिघन लाथे प्रभ सरना प्रगटे भले संजोगा ॥ १ ॥
प्रभ बानी सबदु सुभाख्या ॥ गावहु सुणहु पड़हु नित भायी गुर पूरै तू राख्या ॥ रहाउ ॥
साचा साहबु अमिति वडायी भगति वछल दयाला ॥ संता की पैज रखदा आया आदि बिरदु प्रतिपाला ॥ २ ॥
हरि अंमृत नामु भोजनु नित भुंचहु सरब वेला मुखि पावहु ॥ जरा मरा तापु सभु नाठा गुन गोबिन्द नित गावहु ॥ ३ ॥
सुनी अरदासि सुआमी मेरै सरब कला बनि आई ॥ प्रगट भई सगले जुग अंतरि गुर नानक की वड्यायी ॥ ४ ॥ ११ ॥
सोरठि महला ५ ॥
सूख मंगल कल्यान सहज धुनि प्रभ के चरन नेहार्या ॥ राखनहारै राख्यो बारिकु सतिगुरि तापु उतार्या ॥ १ ॥
उबरे सतिगुर की सरणायी ॥ जा की सेव न बिरथी जायी ॥ रहाउ ॥
घर मह सूख बाहरि फुनि सूखा प्रभ अपुने भए दयाला ॥ नानक बिघनु न लागै कोऊ मेरा प्रभु होआ किरपाला ॥ २ ॥ १२ ॥ ४० ॥
सोरठि म ५ ॥
गए कलेस रोग सभि नासे प्रभि अपुनै किरपा धारी ॥ आठ पहर आराधहु सुआमी पूरन घाल हमारी ॥ १ ॥
हरि जीउ तू सुख सम्पति रासि ॥ राखि लैहु भायी मेरे कउ प्रभ आगै अरदासि ॥ रहाउ ॥
जो मागउ सोयी सोयी पावउ अपने खसम भरोसा ॥
कहु नानक गुरु पूरा भेट्यो मिट्यो सगल अन्देसा ॥ २ ॥ १४ ॥ ४२ ॥
सोरठि महला ५ ॥
सिमरि सिमरि गुरु सतिगुरु अपना सगला दूखु मिटायआ ॥ ताप रोग गए गुर बचनी मन इछे फल पायआ ॥ १ ॥
मेरा गुरु पूरा सुखदाता ॥ करन कारन समरथ सुआमी पूरन पुरखु बिधाता ॥ रहाउ ॥
अनन्द बिनोद मंगल गुन गावहु गुर नानक भए दयाला ॥
जै जै कार भए जग भीतरि होआ पारब्रहमु रखवाला ॥ २ ॥ १५ ॥ ४३ ॥
सोरठि महला ५ ॥
दुरतु गवायआ हरि प्रभि आपे सभु संसारु उबार्या ॥ पारब्रहमि प्रभि किरपा धारी अपना बिरदु समार्या ॥ १ ॥
होयी राजे राम की रखवाली ॥ सूख सहज आनद गुन गावहु मनु तनु देह सुखाली ॥ रहाउ ॥
पतित उधारनु सतिगुरु मेरा मोह तिस का भरवासा ॥
बखसि लए सभि सचै साहबि सुनि नानक की अरदासा ॥ २ ॥ १७ ॥ ४५ ॥
सोरठि महला ५ ॥
बखस्या पारब्रहम परमेसरि सगले रोग बिदारे ॥ गुर पूरे की सरनी उबरे कारज सगल सवारे ॥ १ ॥
हरि जनि सिमर्या नाम अधारि ॥ तापु उतार्या सतिगुरि पूरै अपनी किरपा धारि ॥ रहाउ ॥
सदा अनन्द करह मेरे प्यारे हरि गोविदु गुरि राख्या ॥
वडी वड्यायी नानक करते की साचु सबदु सति भाख्या ॥ २ ॥ १८ ॥ ४६ ॥
सोरठि महला ५ ॥
भए क्रिपाल सुआमी मेरे तितु साचै दरबारि ॥ सतिगुरि तापु गवायआ भायी ठांढि पई संसारि ॥ अपने जिय जंत आपे राखे जमह कीयो हटतारि ॥ १ ॥
हरि के चरन रिदै उरि धारि ॥ सदा सदा प्रभु सिमरीऐ भायी दुख किलबिख काटणहारु ॥ १ ॥ रहाउ ॥
तिस की सरनी ऊबरै भायी जिनि रच्या सभु कोइ ॥ करन कारन समरथु सो भायी सचै सची सोइ ॥
नानक प्रभू ध्याईऐ भायी मनु तनु सीतलु होइ ॥ २ ॥ १੯ ॥ ४७ ॥
सोरठि महला ५ ॥
संतहु हरि हरि नामु ध्यायी ॥ सुख सागर प्रभु विसरउ नाही मन चिन्दिअड़ा फलु पायी ॥ १ ॥ रहाउ ॥
सतिगुरि पूरै तापु गवायआ अपनी किरपा धारी ॥ पारब्रहम प्रभ भए दयाला दुखु मिट्या सभ परवारी ॥ १ ॥
सरब निधान मंगल रस रूपा हरि का नामु अधारो ॥ नानक पति राखी परमेसरि उधर्या सभु संसारो ॥ २ ॥ २० ॥ ४८ ॥
सोरठि महला ५ ॥
मेरा सतिगुरु रखवाला होआ ॥ धारि क्रिपा प्रभ हाथ दे राख्या हरि गोविदु नवा निरोआ ॥ १ ॥ रहाउ ॥
तापु गया प्रभि आपि मिटायआ जन की लाज रखायी ॥ साधसंगति ते सभ फल पाए सतिगुर कै बलि जांयी ॥ १ ॥
हलतु पलतु प्रभ दोवै सवारे हमरा गुनु अवगुनु न बीचार्या ॥
अटल बचनु नानक गुर तेरा सफल करु मसतकि धार्या ॥ २ ॥ २१ ॥ ४੯ ॥
सोरठि महला ५ ॥
जिय जंत्र सभि तिस के कीए सोयी संत सहायी ॥ अपुने सेवक की आपे राखै पूरन भई बडायी ॥ १ ॥
पारब्रहमु पूरा मेरै नालि ॥ गुरि पूरै पूरी सभ राखी होए सरब दयाल ॥ १ ॥ रहाउ ॥
अनदिनु नानकु नामु ध्याए जिय प्रान का दाता ॥ अपुने दास कउ कंठि लाय राखै ज्यु बारिक पित माता ॥ २ ॥ २२ ॥ ५० ॥
सोरठि महला ५ ॥
ठाढि पायी करतारे ॥ तापु छोडि गया परवारे ॥ गुरि पूरै है राखी ॥ सरनि सचे की ताकी ॥ १ ॥
परमेसरु आपि होआ रखवाला ॥ सांति सहज सुख खिन मह उपजे मनु होआ सदा सुखाला ॥ रहाउ ॥
हरि हरि नामु दीयो दारू ॥ तिनि सगला रोगु बिदारू ॥ अपनी किरपा धारी ॥ तिनि सगली बात सवारी ॥ २ ॥
प्रभि अपना बिरदु समार्या ॥ हमरा गुनु अवगुनु न बीचार्या ॥ गुर का सबदु भइयो साखी ॥ तिनि सगली लाज राखी ॥ ३ ॥ बोलायआ बोली तेरा ॥ तू साहबु गुनी गहेरा ॥ जपि नानक नामु सचु साखी ॥ अपुने दास की पैज राखी ॥ ४ ॥ ६ ॥ ५६ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ਮਾਂਝ ॥
ਦੁਖ ਭੰਜਨੁ ਤੇਰਾ ਨਾਮੁ ਜੀ ਦੁਖ ਭੰਜਨੁ ਤੇਰਾ ਨਾਮੁ ॥ ਆਠ ਪਹਰ ਆਰਾਧੀਐ ਪੂਰਨ ਸਤਿਗੁਰ ਗਿਆਨੁ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਜਿਤੁ ਘਟਿ ਵਸੈ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਸੋਈ ਸੁਹਾਵਾ ਥਾਉ ॥ ਜਮ ਕੰਕਰੁ ਨੇੜਿ ਨ ਆਵਈ ਰਸਨਾ ਹਰਿ ਗੁਣ ਗਾਉ ॥ ੧ ॥ ਸੇਵਾ ਸੁਰਤਿ ਨ ਜਾਣੀਆ ਨਾ ਜਾਪੈ ਆਰਾਧਿ ॥ ਓਟ ਤੇਰੀ ਜਗਜੀਵਨਾ ਮੇਰੇ ਠਾਕੁਰ ਅਗਮ ਅਗਾਧਿ ॥ ੨ ॥ ਭਏ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਗੁਸਾਈਆ ਨਠੇ ਸੋਗ ਸੰਤਾਪ ॥ ਤਤੀ ਵਾਉ ਨ ਲਗਈ ਸਤਿਗੁਰਿ ਰਖੇ ਆਪਿ ॥ ੩ ॥ ਗੁਰੁ ਨਾਰਾਇਣੁ ਦਯੁ ਗੁਰੁ ਗੁਰੁ ਸਚਾ ਸਿਰਜਣਹਾਰੁ ॥ ਗੁਰਿ ਤੁਠੈ ਸਭ ਕਿਛੁ ਪਾਇਆ ਜਨ ਨਾਨਕ ਸਦ ਬਲਿਹਾਰ ॥ ੪ ॥ ੨ ॥ ੧੭੦ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸੂਕੇ ਹਰੇ ਕੀਏ ਖਿਨ ਮਾਹੇ ॥ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਦ੍ਰਿਸਟਿ ਸੰਚਿ ਜੀਵਾਏ ॥ ੧ ॥ ਕਾਟੇ ਕਸਟ ਪੂਰੇ ਗੁਰਦੇਵ ॥ ਸੇਵਕ ਕਉ ਦੀਨੀ ਅਪੁਨੀ ਸੇਵ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਮਿਟਿ ਗਈ ਚਿੰਤ ਪੁਨੀ ਮਨ ਆਸਾ ॥ ਕਰੀ ਦਇਆ ਸਤਿਗੁਰਿ ਗੁਣਤਾਸਾ ॥ ੨ ॥ ਦੁਖ ਨਾਠੇ ਸੁਖ ਆਇ ਸਮਾਏ ॥ ਢੀਲ ਨ ਪਰੀ ਜਾ ਗੁਰਿ ਫੁਰਮਾਏ ॥ ੩ ॥ ਇਛ ਪੁਨੀ ਪੂਰੇ ਗੁਰ ਮਿਲੇ ॥ ਨਾਨਕ ਤੇ ਜਨ ਸੁਫਲ ਫਲੇ ॥ ੪ ॥ ੫੮ ॥ ੧੨੭ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਤਾਪ ਗਏ ਪਾਈ ਪ੍ਰਭਿ ਸਾਂਤਿ ॥ ਸੀਤਲ ਭਏ ਕੀਨੀ ਪ੍ਰਭ ਦਾਤਿ ॥ ੧ ॥ ਪ੍ਰਭ ਕਿਰਪਾ ਤੇ ਭਏ ਸੁਹੇਲੇ ॥ ਜਨਮ ਜਨਮ ਕੇ ਬਿਛੁਰੇ ਮੇਲੇ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਸਿਮਰਤ ਸਿਮਰਤ ਪ੍ਰਭ ਕਾ ਨਾਉ ॥ ਸਗਲ ਰੋਗ ਕਾ ਬਿਨਸਿਆ ਥਾਉ ॥ ੨ ॥ ਸਹਜਿ ਸੁਭਾਇ ਬੋਲੈ ਹਰਿ ਬਾਣੀ ॥ ਆਠ ਪਹਰ ਪ੍ਰਭ ਸਿਮਰਹੁ ਪ੍ਰਾਣੀ ॥ ੩ ॥ ਦੂਖੁ ਦਰਦੁ ਜਮੁ ਨੇੜਿ ਨ ਆਵੈ ॥ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਜੋ ਹਰਿ ਗੁਨ ਗਾਵੈ ॥ ੪ ॥ ੫੯ ॥ ੧੨੮ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਜਿਸੁ ਸਿਮਰਤ ਦੂਖੁ ਸਭੁ ਜਾਇ ॥ ਨਾਮੁ ਰਤਨੁ ਵਸੈ ਮਨਿ ਆਇ ॥ ੧ ॥ ਜਪਿ ਮਨ ਮੇਰੇ ਗੋਵਿੰਦ ਕੀ ਬਾਣੀ ॥ ਸਾਧੂ ਜਨ ਰਾਮੁ ਰਸਨ ਵਖਾਣੀ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਇਕਸੁ ਬਿਨੁ ਨਾਹੀ ਦੂਜਾ ਕੋਇ ॥ ਜਾ ਕੀ ਦ੍ਰਿਸਟਿ ਸਦਾ ਸੁਖੁ ਹੋਇ ॥ ੨ ॥ ਸਾਜਨੁ ਮੀਤੁ ਸਖਾ ਕਰਿ ਏਕੁ ॥ ਹਰਿ ਹਰਿ ਅਖਰ ਮਨ ਮਹਿ ਲੇਖੁ ॥ ੩ ॥ ਰਵਿ ਰਹਿਆ ਸਰਬਤ ਸੁਆਮੀ ॥ ਗੁਣ ਗਾਵੈ ਨਾਨਕੁ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ॥ ੪ ॥ ੬੨ ॥ ੧੩੧ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਕੋਟਿ ਬਿਘਨ ਹਿਰੇ ਖਿਨ ਮਾਹਿ ॥ ਹਰਿ ਹਰਿ ਕਥਾ ਸਾਧਸੰਗਿ ਸੁਨਾਹਿ ॥ ੧ ॥ ਪੀਵਤ ਰਾਮ ਰਸੁ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਗੁਣ ਜਾਸੁ ॥ ਜਪਿ ਹਰਿ ਚਰਣ ਮਿਟੀ ਖੁਧਿ ਤਾਸੁ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਸਰਬ ਕਲਿਆਣ ਸੁਖ ਸਹਜ ਨਿਧਾਨ ॥ ਜਾ ਕੈ ਰਿਦੈ ਵਸਹਿ ਭਗਵਾਨ ॥ ੨ ॥ ਅਉਖਧ ਮੰਤ੍ਰ ਤੰਤ ਸਭਿ ਛਾਰੁ ॥ ਕਰਣੈਹਾਰੁ ਰਿਦੇ ਮਹਿ ਧਾਰੁ ॥ ੩ ॥ ਤਜਿ ਸਭਿ ਭਰਮ ਭਜਿਓ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ॥ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਅਟਲ ਇਹੁ ਧਰਮੁ ॥ ੪ ॥ ੮੦ ॥ ੧੪੯ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸਾਂਤਿ ਭਈ ਗੁਰ ਗੋਬਿਦਿ ਪਾਈ ॥ ਤਾਪ ਪਾਪ ਬਿਨਸੇ ਮੇਰੇ ਭਾਈ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਨਿਤ ਰਸਨ ਬਖਾਨ ॥ ਬਿਨਸੇ ਰੋਗ ਭਏ ਕਲਿਆਨ ॥ ੧ ॥ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਗੁਣ ਅਗਮ ਬੀਚਾਰ ॥ ਸਾਧੂ ਸੰਗਮਿ ਹੈ ਨਿਸਤਾਰ ॥ ੨ ॥ ਨਿਰਮਲ ਗੁਣ ਗਾਵਹੁ ਨਿਤ ਨੀਤ ॥ ਗਈ ਬਿਆਧਿ ਉਬਰੇ ਜਨ ਮੀਤ ॥ ੩ ॥ ਮਨ ਬਚ ਕ੍ਰਮ ਪ੍ਰਭੁ ਅਪਨਾ ਧਿਆਈ ॥ ਨਾਨਕ ਦਾਸ ਤੇਰੀ ਸਰਣਾਈ ॥ ੪ ॥ ੧੦੨ ॥ ੧੭੧ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਨੇਤ੍ਰ ਪ੍ਰਗਾਸੁ ਕੀਆ ਗੁਰਦੇਵ ॥ ਭਰਮ ਗਏ ਪੂਰਨ ਭਈ ਸੇਵ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਸੀਤਲਾ ਤੇ ਰਖਿਆ ਬਿਹਾਰੀ ॥ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪ੍ਰਭ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥ ੧ ॥ ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਜਪੈ ਸੋ ਜੀਵੈ ॥ ਸਾਧਸੰਗਿ ਹਰਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤੁ ਪੀਵੈ ॥ ੨ ॥ ੧੦੩ ॥ ੧੭੨ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਥਿਰੁ ਘਰਿ ਬੈਸਹੁ ਹਰਿ ਜਨ ਪਿਆਰੇ ॥ ਸਤਿਗੁਰਿ ਤੁਮਰੇ ਕਾਜ ਸਵਾਰੇ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਦੁਸਟ ਦੂਤ ਪਰਮੇਸਰਿ ਮਾਰੇ ॥ ਜਨ ਕੀ ਪੈਜ ਰਖੀ ਕਰਤਾਰੇ ॥ ੧ ॥ ਬਾਦਿਸਾਹ ਸਾਹ ਸਭ ਵਸਿ ਕਰਿ ਦੀਨੇ ॥ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਨਾਮ ਮਹਾ ਰਸ ਪੀਨੇ ॥ ੨ ॥ ਨਿਰਭਉ ਹੋਇ ਭਜਹੁ ਭਗਵਾਨ ॥ ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਮਿਲਿ ਕੀਨੋ ਦਾਨੁ ॥ ੩ ॥ ਸਰਣਿ ਪਰੇ ਪ੍ਰਭ ਅੰਤਰਜਾਮੀ ॥ ਨਾਨਕ ਓਟ ਪਕਰੀ ਪ੍ਰਭ ਸੁਆਮੀ ॥ ੪ ॥ ੧੦੮ ॥
ਗਉੜੀ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਰਾਖੁ ਪਿਤਾ ਪ੍ਰਭ ਮੇਰੇ ॥ ਮੋਹਿ ਨਿਰਗੁਨੁ ਸਭ ਗੁਨ ਤੇਰੇ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਪੰਚ ਬਿਖਾਦੀ ਏਕੁ ਗਰੀਬਾ ਰਾਖਹੁ ਰਾਖਨਹਾਰੇ ॥ ਖੇਦੁ ਕਰਹਿ ਅਰੁ ਬਹੁਤੁ ਸੰਤਾਵਹਿ ਆਇਓ ਸਰਨਿ ਤੁਹਾਰੇ ॥ ੧ ॥ ਕਰਿ ਕਰਿ ਹਾਰਿਓ ਅਨਿਕ ਬਹੁ ਭਾਤੀ ਛੋਡਹਿ ਕਤਹੂੰ ਨਾਹੀ ॥ ਏਕ ਬਾਤ ਸੁਨਿ ਤਾਕੀ ਓਟਾ ਸਾਧਸੰਗਿ ਮਿਟਿ ਜਾਹੀ ॥ ੨ ॥ ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਸੰਤ ਮਿਲੇ ਮੋਹਿ ਤਿਨ ਤੇ ਧੀਰਜੁ ਪਾਇਆ ॥ ਸੰਤੀ ਮੰਤੁ ਦੀਓ ਮੋਹਿ ਨਿਰਭਉ ਗੁਰ ਕਾ ਸਬਦੁ ਕਮਾਇਆ ॥ ੩ ॥ ਜੀਤਿ ਲਏ ਓਇ ਮਹਾ ਬਿਖਾਦੀ ਸਹਜ ਸੁਹੇਲੀ ਬਾਣੀ ॥ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਮਨਿ ਭਇਆ ਪਰਗਾਸਾ ਪਾਇਆ ਪਦੁ ਨਿਰਬਾਣੀ ॥ ੪ ॥ ੪ ॥ ੧੨੫ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸਰਬ ਕਲਿਆਣ ਕੀਏ ਗੁਰਦੇਵ ॥ ਸੇਵਕੁ ਅਪਨੀ ਲਾਇਓ ਸੇਵ ॥ ਬਿਘਨੁ ਨ ਲਾਗੈ ਜਪਿ ਅਲਖ ਅਭੇਵ ॥ ੧ ॥ ਧਰਤਿ ਪੁਨੀਤ ਭਈ ਗੁਨ ਗਾਏ ॥ ਦੁਰਤੁ ਗਇਆ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਏ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਸਭਨੀ ਥਾਂਈ ਰਵਿਆ ਆਪਿ ॥ ਆਦਿ ਜੁਗਾਦਿ ਜਾ ਕਾ ਵਡ ਪਰਤਾਪੁ ॥ ਗੁਰ ਪਰਸਾਦਿ ਨ ਹੋਇ ਸੰਤਾਪੁ ॥ ੨ ॥ ਗੁਰ ਕੇ ਚਰਨ ਲਗੇ ਮਨਿ ਮੀਠੇ ॥ ਨਿਰਬਿਘਨ ਹੋਇ ਸਭ ਥਾਂਈ ਵੂਠੇ ॥ ਸਭਿ ਸੁਖ ਪਾਏ ਸਤਿਗੁਰ ਤੂਠੇ ॥ ੩ ॥ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪ੍ਰਭ ਭਏ ਰਖਵਾਲੇ ॥ ਜਿਥੈ ਕਿਥੈ ਦੀਸਹਿ ਨਾਲੇ ॥ ਨਾਨਕ ਦਾਸ ਖਸਮਿ ਪ੍ਰਤਿਪਾਲੇ ॥ ੪ ॥ ੨ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਚਰਨ ਕਮਲ ਪ੍ਰਭ ਹਿਰਦੈ ਧਿਆਏ ॥ ਰੋਗ ਗਏ ਸਗਲੇ ਸੁਖ ਪਾਏ ॥ ੧ ॥ ਗੁਰਿ ਦੁਖੁ ਕਾਟਿਆ ਦੀਨੋ ਦਾਨੁ ॥ ਸਫਲ ਜਨਮੁ ਜੀਵਨ ਪਰਵਾਨੁ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਅਕਥ ਕਥਾ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਪ੍ਰਭ ਬਾਨੀ ॥ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਜਪਿ ਜੀਵੇ ਗਿਆਨੀ ॥ ੨ ॥ ੨ ॥ ੨੦ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸਾਂਤਿ ਪਾਈ ਗੁਰਿ ਸਤਿਗੁਰਿ ਪੂਰੇ ॥ ਸੁਖ ਉਪਜੇ ਬਾਜੇ ਅਨਹਦ ਤੂਰੇ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਤਾਪ ਪਾਪ ਸੰਤਾਪ ਬਿਨਾਸੇ ॥ ਹਰਿ ਸਿਮਰਤ ਕਿਲਵਿਖ ਸਭਿ ਨਾਸੇ ॥ ੧ ॥ ਅਨਦੁ ਕਰਹੁ ਮਿਲਿ ਸੁੰਦਰ ਨਾਰੀ ॥ ਗੁਰਿ ਨਾਨਕਿ ਮੇਰੀ ਪੈਜ ਸਵਾਰੀ ॥ ੨ ॥ ੩ ॥ ੨੧ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸਗਲ ਅਨੰਦੁ ਕੀਆ ਪਰਮੇਸਰਿ ਅਪਣਾ ਬਿਰਦੁ ਸਮਾਰਿਆ ॥ ਸਾਧ ਜਨਾ ਹੋਏ ਕਿਰਪਾਲਾ ਬਿਗਸੇ ਸਭਿ ਪਰਵਾਰਿਆ ॥ ੧ ॥ ਕਾਰਜੁ ਸਤਿਗੁਰਿ ਆਪਿ ਸਵਾਰਿਆ ॥ ਵਡੀ ਆਰਜਾ ਹਰਿ ਗੋਬਿੰਦ ਕੀ ਸੂਖ ਮੰਗਲ ਕਲਿਆਣ ਬੀਚਾਰਿਆ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਵਣ ਤ੍ਰਿਣ ਤ੍ਰਿਭਵਣ ਹਰਿਆ ਹੋਏ ਸਗਲੇ ਜੀਅ ਸਾਧਾਰਿਆ ॥ ਮਨ ਇਛੇ ਨਾਨਕ ਫਲ ਪਾਏ ਪੂਰਨ ਇਛ ਪੁਜਾਰਿਆ ॥ ੨ ॥ ੫ ॥ ੨੩ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਰੋਗੁ ਗਇਆ ਪ੍ਰਭਿ ਆਪਿ ਗਵਾਇਆ ॥ ਨੀਦ ਪਈ ਸੁਖ ਸਹਜ ਘਰੁ ਆਇਆ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਰਜਿ ਰਜਿ ਭੋਜਨੁ ਖਾਵਹੁ ਮੇਰੇ ਭਾਈ ॥ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਨਾਮੁ ਰਿਦ ਮਾਹਿ ਧਿਆਈ ॥ ੧ ॥ ਨਾਨਕ ਗੁਰ ਪੂਰੇ ਸਰਨਾਈ ॥ ਜਿਨਿ ਅਪਨੇ ਨਾਮ ਕੀ ਪੈਜ ਰਖਾਈ ॥ ੨ ॥ ੮ ॥ ੨੬ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਤਾਪ ਸੰਤਾਪ ਸਗਲੇ ਗਏ ਬਿਨਸੇ ਤੇ ਰੋਗ ॥ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮਿ ਤੂ ਬਖਸਿਆ ਸੰਤਨ ਰਸ ਭੋਗ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਸਰਬ ਸੁਖਾ ਤੇਰੀ ਮੰਡਲੀ ਤੇਰਾ ਮਨੁ ਤਨੁ ਆਰੋਗ ॥ ਗੁਨ ਗਾਵਹੁ ਨਿਤ ਰਾਮ ਕੇ ਇਹ ਅਵਖਦ ਜੋਗ ॥ ੧ ॥ ਆਇ ਬਸਹੁ ਘਰ ਦੇਸ ਮਹਿ ਇਹ ਭਲੇ ਸੰਜੋਗ ॥ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਸੁਪ੍ਰਸੰਨ ਭਏ ਲਹਿ ਗਏ ਬਿਓਗ ॥ ੨ ॥ ੧੦ ॥ ੨੮ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਬੰਧਨ ਕਾਟੇ ਆਪਿ ਪ੍ਰਭਿ ਹੋਆ ਕਿਰਪਾਲ ॥ ਦੀਨ ਦਇਆਲ ਪ੍ਰਭ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਤਾ ਕੀ ਨਦਰਿ ਨਿਹਾਲ ॥ ੧ ॥ ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਕਿਰਪਾ ਕਰੀ ਕਾਟਿਆ ਦੁਖੁ ਰੋਗੁ ॥ ਮਨੁ ਤਨੁ ਸੀਤਲੁ ਸੁਖੀ ਭਇਆ ਪ੍ਰਭ ਧਿਆਵਨ ਜੋਗੁ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਅਉਖਧੁ ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਹੈ ਜਿਤੁ ਰੋਗੁ ਨ ਵਿਆਪੈ ॥ ਸਾਧਸੰਗਿ ਮਨਿ ਤਨਿ ਹਿਤੈ ਫਿਰਿ ਦੂਖੁ ਨ ਜਾਪੈ ॥ ੨ ॥ ਹਰਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਜਾਪੀਐ ਅੰਤਰਿ ਲਿਵ ਲਾਈ ॥ ਕਿਲਵਿਖ ਉਤਰਹਿ ਸੁਧੁ ਹੋਇ ਸਾਧੂ ਸਰਣਾਈ ॥ ੩ ॥ ਸੁਨਤ ਜਪਤ ਹਰਿ ਨਾਮ ਜਸੁ ਤਾ ਕੀ ਦੂਰਿ ਬਲਾਈ ॥ ਮਹਾ ਮੰਤ੍ਰੁ ਨਾਨਕੁ ਕਥੈ ਹਰਿ ਕੇ ਗੁਣ ਗਾਈ ॥ ੪ ॥ ੨੩ ॥ ੫੩ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਹਰਿ ਹਰਿ ਹਰਿ ਆਰਾਧੀਐ ਹੋਈਐ ਆਰੋਗ ॥ ਰਾਮਚੰਦ ਕੀ ਲਸਟਿਕਾ ਜਿਨਿ ਮਾਰਿਆ ਰੋਗੁ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਹਰਿ ਜਾਪੀਐ ਨਿਤ ਕੀਚੈ ਭੋਗੁ ॥ ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਕੈ ਵਾਰਣੈ ਮਿਲਿਆ ਸੰਜੋਗੁ ॥ ੧ ॥ ਜਿਸੁ ਸਿਮਰਤ ਸੁਖੁ ਪਾਈਐ ਬਿਨਸੈ ਬਿਓਗੁ ॥ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭ ਸਰਣਾਗਤੀ ਕਰਣ ਕਾਰਣ ਜੋਗੁ ॥ ੨ ॥ ੩੪ ॥ ੬੪ ॥
ਰਾਗੁ ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ਦੁਪਦੇ ਘਰੁ ੫
ੴ ਸਤਿਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ਅਵਰਿ ਉਪਾਵ ਸਭਿ ਤਿਆਗਿਆ ਦਾਰੂ ਨਾਮੁ ਲਇਆ ॥ ਤਾਪ ਪਾਪ ਸਭਿ ਮਿਟੇ ਰੋਗ ਸੀਤਲ ਮਨੁ ਭਇਆ ॥ ੧ ॥ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਆਰਾਧਿਆ ਸਗਲਾ ਦੁਖੁ ਗਇਆ ॥ ਰਾਖਨਹਾਰੈ ਰਾਖਿਆ ਅਪਨੀ ਕਰਿ ਮਇਆ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਬਾਹ ਪਕੜਿ ਪ੍ਰਭਿ ਕਾਢਿਆ ਕੀਨਾ ਅਪਨਇਆ ॥ ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਮਨ ਤਨ ਸੁਖੀ ਨਾਨਕ ਨਿਰਭਇਆ ॥ ੨ ॥ ੧ ॥ ੬੫ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਰੋਗੁ ਮਿਟਾਇਆ ਆਪਿ ਪ੍ਰਭਿ ਉਪਜਿਆ ਸੁਖੁ ਸਾਂਤਿ ॥ ਵਡ ਪਰਤਾਪੁ ਅਚਰਜ ਰੂਪੁ ਹਰਿ ਕੀਨੀ ਦਾਤਿ ॥ ੧ ॥ ਗੁਰਿ ਗੋਵਿੰਦਿ ਕ੍ਰਿਪਾ ਕਰੀ ਰਾਖਿਆ ਮੇਰਾ ਭਾਈ ॥ ਹਮ ਤਿਸ ਕੀ ਸਰਣਾਗਤੀ ਜੋ ਸਦਾ ਸਹਾਈ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਬਿਰਥੀ ਕਦੇ ਨ ਹੋਵਈ ਜਨ ਕੀ ਅਰਦਾਸਿ ॥ ਨਾਨਕ ਜੋਰੁ ਗੋਵਿੰਦ ਕਾ ਪੂਰਨ ਗੁਣਤਾਸਿ ॥ ੨ ॥ ੧੩ ॥ ੭੭ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਤਾਤੀ ਵਾਉ ਨ ਲਗਈ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਸਰਣਾਈ ॥ ਚਉਗਿਰਦ ਹਮਾਰੈ ਰਾਮ ਕਾਰ ਦੁਖੁ ਲਗੈ ਨ ਭਾਈ ॥ ੧ ॥ ਸਤਿਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਭੇਟਿਆ ਜਿਨਿ ਬਣਤ ਬਣਾਈ ॥ ਰਾਮ ਨਾਮੁ ਅਉਖਧੁ ਦੀਆ ਏਕਾ ਲਿਵ ਲਾਈ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਰਾਖਿ ਲੀਏ ਤਿਨਿ ਰਖਨਹਾਰਿ ਸਭ ਬਿਆਧਿ ਮਿਟਾਈ ॥ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਕਿਰਪਾ ਭਈ ਪ੍ਰਭ ਭਏ ਸਹਾਈ ॥ ੨ ॥ ੧੫ ॥ ੭੯ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਅਪਣੇ ਬਾਲਕ ਆਪਿ ਰਖਿਅਨੁ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਗੁਰਦੇਵ ॥ ਸੁਖ ਸਾਂਤਿ ਸਹਜ ਆਨਦ ਭਏ ਪੂਰਨ ਭਈ ਸੇਵ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਭਗਤ ਜਨਾ ਕੀ ਬੇਨਤੀ ਸੁਣੀ ਪ੍ਰਭਿ ਆਪਿ ॥ ਰੋਗ ਮਿਟਾਇ ਜੀਵਾਲਿਅਨੁ ਜਾ ਕਾ ਵਡ ਪਰਤਾਪੁ ॥ ੧ ॥ ਦੋਖ ਹਮਾਰੇ ਬਖਸਿਅਨੁ ਅਪਣੀ ਕਲ ਧਾਰੀ ॥ ਮਨ ਬਾਂਛਤ ਫਲ ਦਿਤਿਅਨੁ ਨਾਨਕ ਬਲਿਹਾਰੀ ॥ ੨ ॥ ੧੬ ॥ ੮੦ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਤਾਪੁ ਲਾਹਿਆ ਗੁਰ ਸਿਰਜਨਹਾਰਿ ॥ ਸਤਿਗੁਰ ਅਪਨੇ ਕਉ ਬਲਿ ਜਾਈ ਜਿਨਿ ਪੈਜ ਰਖੀ ਸਾਰੈ ਸੰਸਾਰਿ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਕਰੁ ਮਸਤਕਿ ਧਾਰਿ ਬਾਲਿਕੁ ਰਖਿ ਲੀਨੋ ॥ ਪ੍ਰਭਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਨਾਮੁ ਮਹਾ ਰਸੁ ਦੀਨੋ ॥ ੧ ॥ ਦਾਸ ਕੀ ਲਾਜ ਰਖੈ ਮਿਹਰਵਾਨੁ ॥ ਗੁਰੁ ਨਾਨਕੁ ਬੋਲੈ ਦਰਗਹ ਪਰਵਾਨੁ ॥ ੨ ॥ ੬ ॥ ੮੬ ॥
ਬਿਲਾਵਲੁ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਤਾਪ ਪਾਪ ਤੇ ਰਾਖੇ ਆਪ ॥ ਸੀਤਲ ਭਏ ਗੁਰ ਚਰਨੀ ਲਾਗੇ ਰਾਮ ਨਾਮ ਹਿਰਦੇ ਮਹਿ ਜਾਪ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਕਰਿ ਕਿਰਪਾ ਹਸਤ ਪ੍ਰਭਿ ਦੀਨੇ ਜਗਤ ਉਧਾਰ ਨਵ ਖੰਡ ਪ੍ਰਤਾਪ ॥ ਦੁਖ ਬਿਨਸੇ ਸੁਖ ਅਨਦ ਪ੍ਰਵੇਸਾ ਤ੍ਰਿਸਨ ਬੁਝੀ ਮਨ ਤਨ ਸਚੁ ਧ੍ਰਾਪ ॥ ੧ ॥ ਅਨਾਥ ਕੋ ਨਾਥੁ ਸਰਣਿ ਸਮਰਥਾ ਸਗਲ ਸ੍ਰਿਸਟਿ ਕੋ ਮਾਈ ਬਾਪੁ ॥ ਭਗਤਿ ਵਛਲ ਭੈ ਭੰਜਨ ਸੁਆਮੀ ਗੁਣ ਗਾਵਤ ਨਾਨਕ ਆਲਾਪ ॥ ੨ ॥ ੨੦ ॥ ੧੦੬ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਕਰਿ ਇਸਨਾਨੁ ਸਿਮਰਿ ਪ੍ਰਭੁ ਅਪਨਾ ਮਨ ਤਨ ਭਏ ਅਰੋਗਾ ॥ ਕੋਟਿ ਬਿਘਨ ਲਾਥੇ ਪ੍ਰਭ ਸਰਣਾ ਪ੍ਰਗਟੇ ਭਲੇ ਸੰਜੋਗਾ ॥ ੧ ॥ ਪ੍ਰਭ ਬਾਣੀ ਸਬਦੁ ਸੁਭਾਖਿਆ ॥ ਗਾਵਹੁ ਸੁਣਹੁ ਪੜਹੁ ਨਿਤ ਭਾਈ ਗੁਰ ਪੂਰੈ ਤੂ ਰਾਖਿਆ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਸਾਚਾ ਸਾਹਿਬੁ ਅਮਿਤਿ ਵਡਾਈ ਭਗਤਿ ਵਛਲ ਦਇਆਲਾ ॥ ਸੰਤਾ ਕੀ ਪੈਜ ਰਖਦਾ ਆਇਆ ਆਦਿ ਬਿਰਦੁ ਪ੍ਰਤਿਪਾਲਾ ॥ ੨ ॥ ਹਰਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਨਾਮੁ ਭੋਜਨੁ ਨਿਤ ਭੁੰਚਹੁ ਸਰਬ ਵੇਲਾ ਮੁਖਿ ਪਾਵਹੁ ॥ ਜਰਾ ਮਰਾ ਤਾਪੁ ਸਭੁ ਨਾਠਾ ਗੁਣ ਗੋਬਿੰਦ ਨਿਤ ਗਾਵਹੁ ॥ ੩ ॥ ਸੁਣੀ ਅਰਦਾਸਿ ਸੁਆਮੀ ਮੇਰੈ ਸਰਬ ਕਲਾ ਬਣਿ ਆਈ ॥ ਪ੍ਰਗਟ ਭਈ ਸਗਲੇ ਜੁਗ ਅੰਤਰਿ ਗੁਰ ਨਾਨਕ ਕੀ ਵਡਿਆਈ ॥ ੪ ॥ ੧੧ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸੂਖ ਮੰਗਲ ਕਲਿਆਣ ਸਹਜ ਧੁਨਿ ਪ੍ਰਭ ਕੇ ਚਰਣ ਨਿਹਾਰਿਆ ॥ ਰਾਖਨਹਾਰੈ ਰਾਖਿਓ ਬਾਰਿਕੁ ਸਤਿਗੁਰਿ ਤਾਪੁ ਉਤਾਰਿਆ ॥ ੧ ॥ ਉਬਰੇ ਸਤਿਗੁਰ ਕੀ ਸਰਣਾਈ ॥ ਜਾ ਕੀ ਸੇਵ ਨ ਬਿਰਥੀ ਜਾਈ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਘਰ ਮਹਿ ਸੂਖ ਬਾਹਰਿ ਫੁਨਿ ਸੂਖਾ ਪ੍ਰਭ ਅਪੁਨੇ ਭਏ ਦਇਆਲਾ ॥ ਨਾਨਕ ਬਿਘਨੁ ਨ ਲਾਗੈ ਕੋਊ ਮੇਰਾ ਪ੍ਰਭੁ ਹੋਆ ਕਿਰਪਾਲਾ ॥ ੨ ॥ ੧੨ ॥ ੪੦ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮ: ੫ ॥
ਗਏ ਕਲੇਸ ਰੋਗ ਸਭਿ ਨਾਸੇ ਪ੍ਰਭਿ ਅਪੁਨੈ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥ ਆਠ ਪਹਰ ਆਰਾਧਹੁ ਸੁਆਮੀ ਪੂਰਨ ਘਾਲ ਹਮਾਰੀ ॥ ੧ ॥ ਹਰਿ ਜੀਉ ਤੂ ਸੁਖ ਸੰਪਤਿ ਰਾਸਿ ॥ ਰਾਖਿ ਲੈਹੁ ਭਾਈ ਮੇਰੇ ਕਉ ਪ੍ਰਭ ਆਗੈ ਅਰਦਾਸਿ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਜੋ ਮਾਗਉ ਸੋਈ ਸੋਈ ਪਾਵਉ ਅਪਨੇ ਖਸਮ ਭਰੋਸਾ ॥ ਕਹੁ ਨਾਨਕ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਭੇਟਿਓ ਮਿਟਿਓ ਸਗਲ ਅੰਦੇਸਾ ॥ ੨ ॥ ੧੪ ॥ ੪੨ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸਿਮਰਿ ਸਿਮਰਿ ਗੁਰੁ ਸਤਿਗੁਰੁ ਅਪਨਾ ਸਗਲਾ ਦੂਖੁ ਮਿਟਾਇਆ ॥ ਤਾਪ ਰੋਗ ਗਏ ਗੁਰ ਬਚਨੀ ਮਨ ਇਛੇ ਫਲ ਪਾਇਆ ॥ ੧ ॥ ਮੇਰਾ ਗੁਰੁ ਪੂਰਾ ਸੁਖਦਾਤਾ ॥ ਕਰਣ ਕਾਰਣ ਸਮਰਥ ਸੁਆਮੀ ਪੂਰਨ ਪੁਰਖੁ ਬਿਧਾਤਾ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਅਨੰਦ ਬਿਨੋਦ ਮੰਗਲ ਗੁਣ ਗਾਵਹੁ ਗੁਰ ਨਾਨਕ ਭਏ ਦਇਆਲਾ ॥ ਜੈ ਜੈ ਕਾਰ ਭਏ ਜਗ ਭੀਤਰਿ ਹੋਆ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਰਖਵਾਲਾ ॥ ੨ ॥ ੧੫ ॥ ੪੩ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਦੁਰਤੁ ਗਵਾਇਆ ਹਰਿ ਪ੍ਰਭਿ ਆਪੇ ਸਭੁ ਸੰਸਾਰੁ ਉਬਾਰਿਆ ॥ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮਿ ਪ੍ਰਭਿ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ਅਪਣਾ ਬਿਰਦੁ ਸਮਾਰਿਆ ॥ ੧ ॥ ਹੋਈ ਰਾਜੇ ਰਾਮ ਕੀ ਰਖਵਾਲੀ ॥ ਸੂਖ ਸਹਜ ਆਨਦ ਗੁਣ ਗਾਵਹੁ ਮਨੁ ਤਨੁ ਦੇਹ ਸੁਖਾਲੀ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਪਤਿਤ ਉਧਾਰਣੁ ਸਤਿਗੁਰੁ ਮੇਰਾ ਮੋਹਿ ਤਿਸ ਕਾ ਭਰਵਾਸਾ ॥ ਬਖਸਿ ਲਏ ਸਭਿ ਸਚੈ ਸਾਹਿਬਿ ਸੁਣਿ ਨਾਨਕ ਕੀ ਅਰਦਾਸਾ ॥ ੨ ॥ ੧੭ ॥ ੪੫ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਬਖਸਿਆ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪਰਮੇਸਰਿ ਸਗਲੇ ਰੋਗ ਬਿਦਾਰੇ ॥ ਗੁਰ ਪੂਰੇ ਕੀ ਸਰਣੀ ਉਬਰੇ ਕਾਰਜ ਸਗਲ ਸਵਾਰੇ ॥ ੧ ॥ ਹਰਿ ਜਨਿ ਸਿਮਰਿਆ ਨਾਮ ਅਧਾਰਿ ॥ ਤਾਪੁ ਉਤਾਰਿਆ ਸਤਿਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਅਪਣੀ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰਿ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਸਦਾ ਅਨੰਦ ਕਰਹ ਮੇਰੇ ਪਿਆਰੇ ਹਰਿ ਗੋਵਿਦੁ ਗੁਰਿ ਰਾਖਿਆ ॥ ਵਡੀ ਵਡਿਆਈ ਨਾਨਕ ਕਰਤੇ ਕੀ ਸਾਚੁ ਸਬਦੁ ਸਤਿ ਭਾਖਿਆ ॥ ੨ ॥ ੧੮ ॥ ੪੬ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਭਏ ਕ੍ਰਿਪਾਲ ਸੁਆਮੀ ਮੇਰੇ ਤਿਤੁ ਸਾਚੈ ਦਰਬਾਰਿ ॥ ਸਤਿਗੁਰਿ ਤਾਪੁ ਗਵਾਇਆ ਭਾਈ ਠਾਂਢਿ ਪਈ ਸੰਸਾਰਿ ॥ ਅਪਣੇ ਜੀਅ ਜੰਤ ਆਪੇ ਰਾਖੇ ਜਮਹਿ ਕੀਓ ਹਟਤਾਰਿ ॥ ੧ ॥ ਹਰਿ ਕੇ ਚਰਣ ਰਿਦੈ ਉਰਿ ਧਾਰਿ ॥ ਸਦਾ ਸਦਾ ਪ੍ਰਭੁ ਸਿਮਰੀਐ ਭਾਈ ਦੁਖ ਕਿਲਬਿਖ ਕਾਟਣਹਾਰੁ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਤਿਸ ਕੀ ਸਰਣੀ ਊਬਰੈ ਭਾਈ ਜਿਨਿ ਰਚਿਆ ਸਭੁ ਕੋਇ ॥ ਕਰਣ ਕਾਰਣ ਸਮਰਥੁ ਸੋ ਭਾਈ ਸਚੈ ਸਚੀ ਸੋਇ ॥ ਨਾਨਕ ਪ੍ਰਭੂ ਧਿਆਈਐ ਭਾਈ ਮਨੁ ਤਨੁ ਸੀਤਲੁ ਹੋਇ ॥ ੨ ॥ ੧੯ ॥ ੪੭ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਸੰਤਹੁ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਧਿਆਈ ॥ ਸੁਖ ਸਾਗਰ ਪ੍ਰਭੁ ਵਿਸਰਉ ਨਾਹੀ ਮਨ ਚਿੰਦਿਅੜਾ ਫਲੁ ਪਾਈ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਸਤਿਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਤਾਪੁ ਗਵਾਇਆ ਅਪਣੀ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਪ੍ਰਭ ਭਏ ਦਇਆਲਾ ਦੁਖੁ ਮਿਟਿਆ ਸਭ ਪਰਵਾਰੀ ॥ ੧ ॥ ਸਰਬ ਨਿਧਾਨ ਮੰਗਲ ਰਸ ਰੂਪਾ ਹਰਿ ਕਾ ਨਾਮੁ ਅਧਾਰੋ ॥ ਨਾਨਕ ਪਤਿ ਰਾਖੀ ਪਰਮੇਸਰਿ ਉਧਰਿਆ ਸਭੁ ਸੰਸਾਰੋ ॥ ੨ ॥ ੨੦ ॥ ੪੮ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਮੇਰਾ ਸਤਿਗੁਰੁ ਰਖਵਾਲਾ ਹੋਆ ॥ ਧਾਰਿ ਕ੍ਰਿਪਾ ਪ੍ਰਭ ਹਾਥ ਦੇ ਰਾਖਿਆ ਹਰਿ ਗੋਵਿਦੁ ਨਵਾ ਨਿਰੋਆ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਤਾਪੁ ਗਇਆ ਪ੍ਰਭਿ ਆਪਿ ਮਿਟਾਇਆ ਜਨ ਕੀ ਲਾਜ ਰਖਾਈ ॥ ਸਾਧਸੰਗਤਿ ਤੇ ਸਭ ਫਲ ਪਾਏ ਸਤਿਗੁਰ ਕੈ ਬਲਿ ਜਾਂਈ ॥ ੧ ॥ ਹਲਤੁ ਪਲਤੁ ਪ੍ਰਭ ਦੋਵੈ ਸਵਾਰੇ ਹਮਰਾ ਗੁਣੁ ਅਵਗੁਣੁ ਨ ਬੀਚਾਰਿਆ ॥ ਅਟਲ ਬਚਨੁ ਨਾਨਕ ਗੁਰ ਤੇਰਾ ਸਫਲ ਕਰੁ ਮਸਤਕਿ ਧਾਰਿਆ ॥ ੨ ॥ ੨੧ ॥ ੪੯ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਜੀਅ ਜੰਤ੍ਰ ਸਭਿ ਤਿਸ ਕੇ ਕੀਏ ਸੋਈ ਸੰਤ ਸਹਾਈ ॥ ਅਪੁਨੇ ਸੇਵਕ ਕੀ ਆਪੇ ਰਾਖੈ ਪੂਰਨ ਭਈ ਬਡਾਈ ॥ ੧ ॥ ਪਾਰਬ੍ਰਹਮੁ ਪੂਰਾ ਮੇਰੈ ਨਾਲਿ ॥ ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਪੂਰੀ ਸਭ ਰਾਖੀ ਹੋਏ ਸਰਬ ਦਇਆਲ ॥ ੧ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਅਨਦਿਨੁ ਨਾਨਕੁ ਨਾਮੁ ਧਿਆਏ ਜੀਅ ਪ੍ਰਾਨ ਕਾ ਦਾਤਾ ॥ ਅਪੁਨੇ ਦਾਸ ਕਉ ਕੰਠਿ ਲਾਇ ਰਾਖੈ ਜਿਉ ਬਾਰਿਕ ਪਿਤ ਮਾਤਾ ॥ ੨ ॥ ੨੨ ॥ ੫੦ ॥
ਸੋਰਠਿ ਮਹਲਾ ੫ ॥
ਠਾਢਿ ਪਾਈ ਕਰਤਾਰੇ ॥ ਤਾਪੁ ਛੋਡਿ ਗਇਆ ਪਰਵਾਰੇ ॥ ਗੁਰਿ ਪੂਰੈ ਹੈ ਰਾਖੀ ॥ ਸਰਣਿ ਸਚੇ ਕੀ ਤਾਕੀ ॥ ੧ ॥ ਪਰਮੇਸਰੁ ਆਪਿ ਹੋਆ ਰਖਵਾਲਾ ॥ ਸਾਂਤਿ ਸਹਜ ਸੁਖ ਖਿਨ ਮਹਿ ਉਪਜੇ ਮਨੁ ਹੋਆ ਸਦਾ ਸੁਖਾਲਾ ॥ ਰਹਾਉ ॥ ਹਰਿ ਹਰਿ ਨਾਮੁ ਦੀਓ ਦਾਰੂ ॥ ਤਿਨਿ ਸਗਲਾ ਰੋਗੁ ਬਿਦਾਰੂ ॥ ਅਪਣੀ ਕਿਰਪਾ ਧਾਰੀ ॥ ਤਿਨਿ ਸਗਲੀ ਬਾਤ ਸਵਾਰੀ ॥ ੨ ॥ ਪ੍ਰਭਿ ਅਪਨਾ ਬਿਰਦੁ ਸਮਾਰਿਆ ॥ ਹਮਰਾ ਗੁਣੁ ਅਵਗੁਣੁ ਨ ਬੀਚਾਰਿਆ ॥ ਗੁਰ ਕਾ ਸਬਦੁ ਭਇਓ ਸਾਖੀ ॥ ਤਿਨਿ ਸਗਲੀ ਲਾਜ ਰਾਖੀ ॥ ੩ ॥ ਬੋਲਾਇਆ ਬੋਲੀ ਤੇਰਾ ॥ ਤੂ ਸਾਹਿਬੁ ਗੁਣੀ ਗਹੇਰਾ ॥ ਜਪਿ ਨਾਨਕ ਨਾਮੁ ਸਚੁ ਸਾਖੀ ॥ ਅਪੁਨੇ ਦਾਸ ਕੀ ਪੈਜ ਰਾਖੀ ॥ ੪ ॥ ੬ ॥ ੫੬ ॥
ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕਾ ਖਾਲਸਾ ॥ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕੀ ਫ਼ਤਿਹ ॥
Dukh Bhanjani Sahib
Gourree Mehalaa 5 Maanjh ||
Dhukh Bhanjan Thaeraa Naam Jee Dhukh Bhanjan Thaeraa Naam ||
Aath Pehar Aaraadhheeai Pooran Sathigur Giaan ||1||
Rehaao ||
Jith Ghatt Vasai Paarabreham Soee Suhaavaa Thhaao ||
Jam Kankar Naerr N Aavee Rasanaa Har Gun Gaao ||1||
Saevaa Surath N Jaaneeaa Naa Jaapai Aaraadhh ||
Outt Thaeree Jagajeevanaa Maerae Thaakur Agam Agaadhh ||2||
Bheae Kirapaal Gusaaeeaa Nathae Sog Santhaap ||
Thathee Vaao N Lagee Sathigur Rakhae Aap ||3||
Gur Naaraaein Dhay Gur Gur Sachaa Sirajanehaar ||
Gur Thuthai Sabh Kishh Paaeiaa Jan Naanak Sadh Balihaar ||4||2||170||
Gourree Mehalaa 5 ||
Sookae Harae Keeeae Khin Maahae ||
Anmrith Dhrisatt Sanch Jeevaaeae ||1||
Kaattae Kasatt Poorae Guradhaev ||
Saevak Ko Dheenee Apunee Saev ||1||
Rehaao ||
Mitt Gee Chinth Punee Man Aasaa ||
Karee Dhaeiaa Sathigur Gunathaasaa ||2||
Dhukh Naathae Sukh Aae Samaaeae ||
Dteel N Paree Jaa Gur Furamaaeae ||3||
Eishh Punee Poorae Gur Milae ||
Naanak Thae Jan Sufal Falae ||4||58||127||
Gourree Mehalaa 5 ||
Thaap Geae Paaee Prabh Saanth ||
Seethal Bheae Keenee Prabh Dhaath ||1||
Prabh Kirapaa Thae Bheae Suhaelae ||
Janam Janam Kae Bishhurae Maelae ||1||
Rehaao ||
Simarath Simarath Prabh Kaa Naao ||
Sagal Rog Kaa Binasiaa Thhaao ||2||
Sehaj Subhaae Bolai Har Baanee ||
Aath Pehar Prabh Simarahu Praanee ||3||
Dhookh Dharadh Jam Naerr N Aavai ||
Kahu Naanak Jo Har Gun Gaavai ||4||59||128||
Gourree Mehalaa 5 ||
Kott Bighan Hirae Khin Maahi ||
Har Har Kathhaa Saadhhasang Sunaahi ||1||
Peevath Raam Ras Anmrith Gun Jaas ||
Jap Har Charan Mittee Khudhh Thaas ||1||
Rehaao ||
Sarab Kaliaan Sukh Sehaj Nidhhaan ||
Jaa Kai Ridhai Vasehi Bhagavaan ||2||
Aoukhadhh Manthr Thanth Sabh Shhaar ||
Karanaihaar Ridhae Mehi Dhhaar ||3||
Thaj Sabh Bharam Bhajiou Paarabreham ||
Kahu Naanak Attal Eihu Dhharam ||4||80||149||
Gourree Mehalaa 5 ||
Saanth Bhee Gur Gobidh Paaee ||
Thaap Paap Binasae Maerae Bhaaee ||1||
Rehaao ||
Raam Naam Nith Rasan Bakhaan ||
Binasae Rog Bheae Kaliaan ||1||
Paarabreham Gun Agam Beechaar ||
Saadhhoo Sangam Hai Nisathaar ||2||
Niramal Gun Gaavahu Nith Neeth ||
Gee Biaadhh Oubarae Jan Meeth ||3||
Man Bach Kram Prabh Apanaa Dhhiaaee ||
Naanak Dhaas Thaeree Saranaaee ||4||102||171||
Gourree Mehalaa 5 ||
Naethr Pragaas Keeaa Guradhaev ||
Bharam Geae Pooran Bhee Saev ||1||
Rehaao ||
Seethalaa Thae Rakhiaa Bihaaree ||
Paarabreham Prabh Kirapaa Dhhaaree ||1||
Naanak Naam Japai So Jeevai ||
Saadhhasang Har Anmrith Peevai ||2||103||172||
Gourree Mehalaa 5 ||
Thhir Ghar Baisahu Har Jan Piaarae ||
Sathigur Thumarae Kaaj Savaarae ||1||
Rehaao ||
Dhusatt Dhooth Paramaesar Maarae ||
Jan Kee Paij Rakhee Karathaarae ||1||
Baadhisaah Saah Sabh Vas Kar Dheenae ||
Anmrith Naam Mehaa Ras Peenae ||2||
Nirabho Hoe Bhajahu Bhagavaan ||
Saadhhasangath Mil Keeno Dhaan ||3||
Saran Parae Prabh Antharajaamee ||
Naanak Outt Pakaree Prabh Suaamee ||4||108||
Gourree Mehalaa 5 ||
Raakh Pithaa Prabh Maerae ||
Mohi Niragun Sabh Gun Thaerae ||1||
Rehaao ||
Panch Bikhaadhee Eaek Gareebaa Raakhahu Raakhanehaarae ||
Khaedh Karehi Ar Bahuth Santhaavehi Aaeiou Saran Thuhaarae ||1||
Kar Kar Haariou Anik Bahu Bhaathee Shhoddehi Kathehoon Naahee ||
Eaek Baath Sun Thaakee Outtaa Saadhhasang Mitt Jaahee ||2||
Kar Kirapaa Santh Milae Mohi Thin Thae Dhheeraj Paaeiaa ||
Santhee Manth Dheeou Mohi Nirabho Gur Kaa Sabadh Kamaaeiaa ||3||
Jeeth Leae Oue Mehaa Bikhaadhee Sehaj Suhaelee Baanee ||
Kahu Naanak Man Bhaeiaa Paragaasaa Paaeiaa Padh Nirabaanee ||4||4||125||
Bilaaval Mehalaa 5 ||
Sarab Kaliaan Keeeae Guradhaev ||
Saevak Apanee Laaeiou Saev ||
Bighan N Laagai Jap Alakh Abhaev ||1||
Dhharath Puneeth Bhee Gun Gaaeae ||
Dhurath Gaeiaa Har Naam Dhhiaaeae ||1||
Rehaao ||
Sabhanee Thhaanee Raviaa Aap ||
Aadh Jugaadh Jaa Kaa Vadd Parathaap ||
Gur Parasaadh N Hoe Santhaap ||2||
Gur Kae Charan Lagae Man Meethae ||
Nirabighan Hoe Sabh Thhaanee Voothae ||
Sabh Sukh Paaeae Sathigur Thoothae ||3||
Paarabreham Prabh Bheae Rakhavaalae ||
Jithhai Kithhai Dheesehi Naalae ||
Naanak Dhaas Khasam Prathipaalae ||4||2||
Bilaaval Mehalaa 5 ||
Charan Kamal Prabh Hiradhai Dhhiaaeae ||
Rog Geae Sagalae Sukh Paaeae ||1||
Gur Dhukh Kaattiaa Dheeno Dhaan ||
Safal Janam Jeevan Paravaan ||1||
Rehaao ||
Akathh Kathhaa Anmrith Prabh Baanee ||
Kahu Naanak Jap Jeevae Giaanee ||2||2||20||
Bilaaval Mehalaa 5 ||
Saanth Paaee Gur Sathigur Poorae ||
Sukh Oupajae Baajae Anehadh Thoorae ||1||
Rehaao ||
Thaap Paap Santhaap Binaasae ||
Har Simarath Kilavikh Sabh Naasae ||1||
Anadh Karahu Mil Sundhar Naaree ||
Gur Naanak Maeree Paij Savaaree ||2||3||21||
Bilaaval Mehalaa 5 ||
Sagal Anandh Keeaa Paramaesar Apanaa Biradh Samhaariaa ||
Saadhh Janaa Hoeae Kirapaalaa Bigasae Sabh Paravaariaa ||1||
Kaaraj Sathigur Aap Savaariaa ||
Vaddee Aarajaa Har Gobindh Kee Sookh Mangal Kaliaan Beechaariaa ||1||
Rehaao ||
Van Thrin Thribhavan Hariaa Hoeae Sagalae Jeea Saadhhaariaa ||
Man Eishhae Naanak Fal Paaeae Pooran Eishh Pujaariaa ||2||5||23||
Bilaaval Mehalaa 5 ||
Rog Gaeiaa Prabh Aap Gavaaeiaa ||
Needh Pee Sukh Sehaj Ghar Aaeiaa ||1||
Rehaao ||
Raj Raj Bhojan Khaavahu Maerae Bhaaee ||
Anmrith Naam Ridh Maahi Dhhiaaee ||1||
Naanak Gur Poorae Saranaaee ||
Jin Apanae Naam Kee Paij Rakhaaee ||2||8||26||
Bilaaval Mehalaa 5 ||
Thaap Santhaap Sagalae Geae Binasae Thae Rog ||
Paarabreham Thoo Bakhasiaa Santhan Ras Bhog ||
Rehaao ||
Sarab Sukhaa Thaeree Manddalee Thaeraa Man Than Aarog ||
Gun Gaavahu Nith Raam Kae Eih Avakhadh Jog ||1||
Aae Basahu Ghar Dhaes Mehi Eih Bhalae Sanjog ||
Naanak Prabh Suprasann Bheae Lehi Geae Bioug ||2||10||28||
Bilaaval Mehalaa 5 ||
Bandhhan Kaattae Aap Prabh Hoaa Kirapaal ||
Dheen Dhaeiaal Prabh Paarabreham Thaa Kee Nadhar Nihaal ||1||
Gur Poorai Kirapaa Karee Kaattiaa Dhukh Rog ||
Man Than Seethal Sukhee Bhaeiaa Prabh Dhhiaavan Jog ||1||
Rehaao ||
Aoukhadhh Har Kaa Naam Hai Jith Rog N Viaapai ||
Saadhhasang Man Than Hithai Fir Dhookh N Jaapai ||2||
Har Har Har Har Jaapeeai Anthar Liv Laaee ||
Kilavikh Outharehi Sudhh Hoe Saadhhoo Saranaaee ||3||
Sunath Japath Har Naam Jas Thaa Kee Dhoor Balaaee ||
Mehaa Manthra Naanak Kathhai Har Kae Gun Gaaee ||4||23||53||
Bilaaval Mehalaa 5 ||
Har Har Har Aaraadhheeai Hoeeai Aarog ||
Raamachandh Kee Lasattikaa Jin Maariaa Rog ||1||
Rehaao ||
Gur Pooraa Har Jaapeeai Nith Keechai Bhog ||
Saadhhasangath Kai Vaaranai Miliaa Sanjog ||1||
Jis Simarath Sukh Paaeeai Binasai Bioug ||
Naanak Prabh Saranaagathee Karan Kaaran Jog ||2||34||64||
Raag Bilaaval Mehalaa 5 Dhupadhae Ghar 5
Ik Oankaar Sathigur Prasaadh ||
Avar Oupaav Sabh Thiaagiaa Dhaaroo Naam Laeiaa ||
Thaap Paap Sabh Mittae Rog Seethal Man Bhaeiaa ||1||
Gur Pooraa Aaraadhhiaa Sagalaa Dhukh Gaeiaa ||
Raakhanehaarai Raakhiaa Apanee Kar Maeiaa ||1||
Rehaao ||
Baah Pakarr Prabh Kaadtiaa Keenaa Apanaeiaa ||
Simar Simar Man Than Sukhee Naanak Nirabhaeiaa ||2||1||65||
Bilaaval Mehalaa 5 ||
Rog Mittaaeiaa Aap Prabh Oupajiaa Sukh Saanth ||
Vadd Parathaap Acharaj Roop Har Keenhee Dhaath ||1||
Gur Govindh Kirapaa Karee Raakhiaa Maeraa Bhaaee ||
Ham This Kee Saranaagathee Jo Sadhaa Sehaaee ||1||
Rehaao ||
Birathhee Kadhae N Hovee Jan Kee Aradhaas ||
Naanak Jor Govindh Kaa Pooran Gunathaas ||2||13||77||
Bilaaval Mehalaa 5 ||
Thaathee Vaao N Lagee Paarabreham Saranaaee ||
Chougiradh Hamaarai Raam Kaar Dhukh Lagai N Bhaaee ||1||
Sathigur Pooraa Bhaettiaa Jin Banath Banaaee ||
Raam Naam Aoukhadhh Dheeaa Eaekaa Liv Laaee ||1||
Rehaao ||
Raakh Leeeae Thin Rakhanehaar Sabh Biaadhh Mittaaee ||
Kahu Naanak Kirapaa Bhee Prabh Bheae Sehaaee ||2||15||79||
Bilaaval Mehalaa 5 ||
Apanae Baalak Aap Rakhian Paarabreham Guradhaev ||
Sukh Saanth Sehaj Aanadh Bheae Pooran Bhee Saev ||1||
Rehaao ||
Bhagath Janaa Kee Baenathee Sunee Prabh Aap ||
Rog Mittaae Jeevaalian Jaa Kaa Vadd Parathaap ||1||
Dhokh Hamaarae Bakhasian Apanee Kal Dhhaaree ||
Man Baanshhath Fal Dhithian Naanak Balihaaree ||2||16||80||
Bilaaval Mehalaa 5 ||
Thaap Laahiaa Gur Sirajanehaar ||
Sathigur Apanae Ko Bal Jaaee Jin Paij Rakhee Saarai Sansaar ||1||
Rehaao ||
Kar Masathak Dhhaar Baalik Rakh Leeno ||
Prabh Anmrith Naam Mehaa Ras Dheeno ||1||
Dhaas Kee Laaj Rakhai Miharavaan ||
Gur Naanak Bolai Dharageh Paravaan ||2||6||86||
Bilaaval Mehalaa 5 ||
Thaap Paap Thae Raakhae Aap ||
Seethal Bheae Gur Charanee Laagae Raam Naam Hiradhae Mehi Jaap ||1||
Rehaao ||
Kar Kirapaa Hasath Prabh Dheenae Jagath Oudhhaar Nav Khandd Prathaap ||
Dhukh Binasae Sukh Anadh Pravaesaa Thrisan Bujhee Man Than Sach Dhhraap ||1||
Anaathh Ko Naathh Saran Samarathhaa Sagal Srisatt Ko Maaee Baap ||
Bhagath Vashhal Bhai Bhanjan Suaamee Gun Gaavath Naanak Aalaap ||2||20||106||
Sorath Mehalaa 5 ||
Kar Eisanaan Simar Prabh Apanaa Man Than Bheae Arogaa ||
Kott Bighan Laathhae Prabh Saranaa Pragattae Bhalae Sanjogaa ||1||
Prabh Baanee Sabadh Subhaakhiaa ||
Gaavahu Sunahu Parrahu Nith Bhaaee Gur Poorai Thoo Raakhiaa ||
Rehaao ||
Saachaa Saahib Amith Vaddaaee Bhagath Vashhal Dhaeiaalaa ||
Santhaa Kee Paij Rakhadhaa Aaeiaa Aadh Biradh Prathipaalaa ||2||
Har Anmrith Naam Bhojan Nith Bhunchahu Sarab Vaelaa Mukh Paavahu ||
Jaraa Maraa Thaap Sabh Naathaa Gun Gobindh Nith Gaavahu ||3||
Sunee Aradhaas Suaamee Maerai Sarab Kalaa Ban Aaee ||
Pragatt Bhee Sagalae Jug Anthar Gur Naanak Kee Vaddiaaee ||4||11||
Sorath Mehalaa 5 ||
Sookh Mangal Kaliaan Sehaj Dhhun Prabh Kae Charan Nihaariaa ||
Raakhanehaarai Raakhiou Baarik Sathigur Thaap Outhaariaa ||1||
Oubarae Sathigur Kee Saranaaee ||
Jaa Kee Saev N Birathhee Jaaee ||
Rehaao ||
Ghar Mehi Sookh Baahar Fun Sookhaa Prabh Apunae Bheae Dhaeiaalaa ||
Naanak Bighan N Laagai Kooo Maeraa Prabh Hoaa Kirapaalaa ||2||12||40||
Sorath Ma 5 ||
Geae Kalaes Rog Sabh Naasae Prabh Apunai Kirapaa Dhhaaree ||
Aath Pehar Aaraadhhahu Suaamee Pooran Ghaal Hamaaree ||1||
Har Jeeo Thoo Sukh Sanpath Raas ||
Raakh Laihu Bhaaee Maerae Ko Prabh Aagai Aradhaas ||
Rehaao ||
Jo Maago Soee Soee Paavo Apanae Khasam Bharosaa ||
Kahu Naanak Gur Pooraa Bhaettiou Mittiou Sagal Andhaesaa ||2||14||42||
Sorath Mehalaa 5 ||
Simar Simar Gur Sathigur Apanaa Sagalaa Dhookh Mittaaeiaa ||
Thaap Rog Geae Gur Bachanee Man Eishhae Fal Paaeiaa ||1||
Maeraa Gur Pooraa Sukhadhaathaa ||
Karan Kaaran Samarathh Suaamee Pooran Purakh Bidhhaathaa ||
Rehaao ||
Anandh Binodh Mangal Gun Gaavahu Gur Naanak Bheae Dhaeiaalaa ||
Jai Jai Kaar Bheae Jag Bheethar Hoaa Paarabreham Rakhavaalaa ||2||15||43||
Sorath Mehalaa 5 ||
Dhurath Gavaaeiaa Har Prabh Aapae Sabh Sansaar Oubaariaa ||
Paarabreham Prabh Kirapaa Dhhaaree Apanaa Biradh Samaariaa ||1||
Hoee Raajae Raam Kee Rakhavaalee ||
Sookh Sehaj Aanadh Gun Gaavahu Man Than Dhaeh Sukhaalee ||
Rehaao ||
Pathith Oudhhaaran Sathigur Maeraa Mohi This Kaa Bharavaasaa ||
Bakhas Leae Sabh Sachai Saahib Sun Naanak Kee Aradhaasaa ||2||17||45||
Sorath Mehalaa 5 ||
Bakhasiaa Paarabreham Paramaesar Sagalae Rog Bidhaarae ||
Gur Poorae Kee Saranee Oubarae Kaaraj Sagal Savaarae ||1||
Har Jan Simariaa Naam Adhhaar ||
Thaap Outhaariaa Sathigur Poorai Apanee Kirapaa Dhhaar ||
Rehaao ||
Sadhaa Anandh Kareh Maerae Piaarae Har Govidh Gur Raakhiaa ||
Vaddee Vaddiaaee Naanak Karathae Kee Saach Sabadh Sath Bhaakhiaa ||2||18||46||
Sorath Ma 5 ||
Bheae Kirapaal Guroo Govindhaa Sagal Manorathh Paaeae ||
Asathhir Bheae Laag Har Charanee Govindh Kae Gun Gaaeae ||1||
Bhalo Samoorath Pooraa ||
Saanth Sehaj Aanandh Naam Jap Vaajae Anehadh Thooraa ||1||
Rehaao ||
Milae Suaamee Preetham Apunae Ghar Mandhar Sukhadhaaee ||
Har Naam Nidhhaan Naanak Jan Paaeiaa Sagalee Eishh Pujaaee ||2||8||36||
Sorath Mehalaa 5 ||
Santhahu Har Har Naam Dhhiaaee ||
Sukh Saagar Prabh Visaro Naahee Man Chindhiarraa Fal Paaee ||1||
Rehaao ||
Sathigur Poorai Thaap Gavaaeiaa Apanee Kirapaa Dhhaaree ||
Paarabreham Prabh Bheae Dhaeiaalaa Dhukh Mittiaa Sabh Paravaaree ||1||
Sarab Nidhhaan Mangal Ras Roopaa Har Kaa Naam Adhhaaro ||
Naanak Path Raakhee Paramaesar Oudhhariaa Sabh Sansaaro ||2||20||48||
Sorath Mehalaa 5 ||
Jeea Janthr Sabh This Kae Keeeae Soee Santh Sehaaee ||
Apunae Saevak Kee Aapae Raakhai Pooran Bhee Baddaaee ||1||
Paarabreham Pooraa Maerai Naal ||
Gur Poorai Pooree Sabh Raakhee Hoeae Sarab Dhaeiaal ||1||
Rehaao ||
Anadhin Naanak Naam Dhhiaaeae Jeea Praan Kaa Dhaathaa ||
Apunae Dhaas Ko Kanth Laae Raakhai Jio Baarik Pith Maathaa ||2||22||50||
Sorath Mehalaa 5 ||
Thaadt Paaee Karathaarae ||
Thaap Shhodd Gaeiaa Paravaarae ||
Gur Poorai Hai Raakhee ||
Saran Sachae Kee Thaakee ||1||
Paramaesar Aap Hoaa Rakhavaalaa ||
Saanth Sehaj Sukh Khin Mehi Oupajae Man Hoaa Sadhaa Sukhaalaa ||
Rehaao ||
Har Har Naam Dheeou Dhaaroo ||
Thin Sagalaa Rog Bidhaaroo ||
Apanee Kirapaa Dhhaaree ||
Thin Sagalee Baath Savaaree ||2||
Prabh Apanaa Biradh Samaariaa ||
Hamaraa Gun Avagun N Beechaariaa ||
Gur Kaa Sabadh Bhaeiou Saakhee ||
Thin Sagalee Laaj Raakhee ||3||
Bolaaeiaa Bolee Thaeraa ||
Thoo Saahib Gunee Gehaeraa ||
Jap Naanak Naam Sach Saakhee ||
Apunae Dhaas Kee Paij Raakhee ||4||6||56||
Bilaaval Mehalaa 5 ||
Aagai Paashhai Kusal Bhaeiaa ||
Gur Poorai Pooree Sabh Raakhee Paarabreham Prabh Keenee Maeiaa ||1||
Rehaao ||
Man Than Rav Rehiaa Har Preetham Dhookh Dharadh Sagalaa Mitt Gaeiaa ||
Saanth Sehaj Aanadh Gun Gaaeae Dhooth Dhusatt Sabh Hoeae Khaeiaa ||1||
Gun Avagun Prabh Kashh N Beechaariou Kar Kirapaa Apunaa Kar Laeiaa ||
Athul Baddaaee Achuth Abinaasee Naanak Oucharai Har Kee Jaeiaa ||2||8||124||
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